प्राचार्य
श्री ओ. आर. चौधरी
बालक राष्ट्र का संरक्षक होता है। उनके द्वारा ही राष्ट्र का पुनर्निर्माण होता है। वे देश का भविष्य होते हैं तथा उनके द्वारा ही आने वाली प्रजातियों के लिए विरासत सुरक्षित रखी जाती है। अभी बहुत आगे जाकर राष्ट्र को प्रगति के पथ पर अग्रसर होना है। देश के भविष्य की परिकल्पना करने वाले तीन व्यक्तियों माता, पिता तथा शिक्षक मुख्य रूप से उत्तरदायी होते हैं। किन्तु शिक्षक अपने स्वयं के व्यय के अनुसार प्रशिक्षित होने के कारण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शिक्षकों का माता, पिता, संतान तथा समाज पर अटूट विश्वास होता है। शिक्षक को अपने शिष्य को कभी भी परेशान नहीं करना चाहिए, अपितु उसमें वांछित सुधार के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए तथा स्वयं की छत्रछाया बनाए रखनी चाहिए। यदि वे असभ्य की भांति मारपीट करते हैं तो वे स्वयं उस स्तर पर गिर जाते हैं, आपका उद्देश्य केवल इतना है कि आपके सामने एक खुला मार्ग है जो आपको मार्गदर्शित करते हुए जीवन में आपके लिए क्या संभव है, यह दर्शाता है।